Saturday, November 22, 2014

अक्षर घाट-7



अभी-अभी यह ख्याल मन में आया कि यदि हिन्दी के प्रतिनिधि कवियों का एक संकलन अंग्रेजी सहित हिंदीतर भाषाओं में तैयार किया जाए तो कैसा हो । कम से कम दो भाषाओं में अर्थात बांग्ला और अंग्रेजी में यह काम व्यक्तिगत स्तर पर मैं खुद भी कर सकता हूँ । फिर दूसरे मित्र भी तो हैं । उनसे सहायता ली जा सकती है । बांग्ला के कई मित्र जब तब पूछते रहते हैं कि हिन्दी के वे कवि कौन हैं जिनसे हिन्दी कविता का एक मुकम्मल चेहरा बनता है । मैं उन्हें कुछ नाम बताता हूँ और वे मायूस होकर कहते हैं कि इन्हें तो पढ़ा ही नहीं । फिर वे कुछ हिंदी के कवियों के नाम बताते हैं जिनको उन्होंने अनुवाद में पढ़ा है । मैं उन्हें बताता हूँ कि ये हिन्दी के प्रतिनिधि स्वर नहीं हैं । खुद मुझे कई बार हिन्दी में ऐसे कवियों के अनुवाद पढ़ कर हैरानी होती रही है कि वे बांग्ला के जेनुइन प्रतिनिधि नहीं हैं । कहीं न कहीं एक बड़ी फाँक है । यह सूरतेहाल जब तब मेरा ध्यान खींचता रहा है । कुछ अरसा पहले से बांग्ला के कवियों की चुनिन्दा कविताओं का हिन्दी अनुवाद आरम्भ भी किया । लेकिन यह भी कम जरूरी नहीं है कि अंग्रेजी और बांग्ला जैसी अन्य भाषाओं में हमारे सही प्रतिनिधियों का अनुवाद मुकम्मल होकर पहुंचे ।
दूसरे ही पल यह ख्याल भी आता है कि हिन्दी के उन प्रतिनिधि कवियों से यदि बीस नाम तय करने हों तो वे नाम क्या होंगे । कौन तय कर सकता है । किसी बड़ी पत्रिका का सम्पादक कोई बड़ा प्रकाशक कोई बड़ा आलोचक या फिर पाठक इन विकल्पों में सबसे अमूर्त विकल्प पाठक ही है । उसकी राय कैसे मिल सकती है । सम्पादक प्रकाशक या आलोचक के पास तो अपने कवियों की सूची तैयार ही रहती है । एक बात तो तय है  कि कोई भी बीस नाम निर्विवाद नहीं तय किये जा सकेंगे । लेकिन यह काम अगर करना ही हो तो कोई रास्ता तो निकालना ही होगा । क्या हमें अपने विवेक पर भरोसा करना चाहिए एक रास्ता यह भी हो सकता है । अपने विवेक पर भरोसा किया जाए । पूरी जवाबदेही के साथ अपने प्रतिनिधि कवियों का चयन किया जाए । और अनुवाद का काम शुरू किया जाए । इस काम में उन साथी कवियों की सहायता ली जा सकती है जिनकी पकड़ अंग्रेजी बांग्ला आदि भाषाओं पर अच्छी है ।
अंग्रेजी अनुवाद के माध्यम से हिन्दी कविता विश्व की दूसरी भाषाओं के पाठकों तक पहुँच सकेगी । मैं हिंदी के कुछ एक कवियों को जानता हूँ जो बहुत अच्छी अंग्रेजी लिख लेते हैं । वे चाहें तो सीधे अंग्रेजी में ही लिख सकते हैं । इधर दूसरी हिंदीतर भाषाओं के लोग हिंदी में लिखने आ रहे हैं । कई बांग्ला भाषी हिंदी कविताएँ लिख रहे हैं । भाषाओं के बीच परस्पर संवाद अनुवाद के माध्यम से ही संभव है । 
 
हिंदी और बांग्ला के बीच का आपसी रिश्ता उतना सरल नहीं है । बांग्ला से चूंकि मेरा सीधा संवाद भी होता है इसलिए कह सकता हूँ कि इस भाषा के अधिकांश लेखक एक अनावश्यक श्रेष्ठता बोध का अतिरिक्त बोझ अपने माथे पर उठाये चलते हैं । वे यह तो चाहते हैं कि उनके लिखे का हिंदी अनुवाद हो । वे हिन्दी के पाठक तक पहुंचना चाहते हैं । पर खुद हिंदी से अपनी भाषा में अनुवाद के मामले में गजब का कार्पण्य दिखाते हैं । लेकिन हाँ अपवाद स्वरूप कुछ आग्रही मित्र हिन्दी के कवियों को जानना पढ़ना जरूर चाहते हैं । लेकिन यह आग्रह उन्हें अनुवाद कार्य के लिए पर्याप्त प्रेरणा नहीं देता । कोई बात नहीं । हम अपने कवियों को बांग्ला में अनूदित करने का काम खुद करेंगे और कहेंगे कि भाई लीजिए पढ़िए । यह तो मानना पड़ेगा कि बांगला का पाठक किताबें खरीदने के मामले में हम हिन्दी वालों से अधिक आग्रही है । यहाँ मित्रों और शुभचिंतकों के बीच शुभ अवसरों पर किताबें देने लेने की संस्कृति बहुत पहले से चली आती है ।
अकेले कलकत्ता में पचासों केंद्र हैं जहां साहित्यिक किताबें हॉट केक की तरह बिकती हैं । पुस्तक मेलों में तो अपनी प्रिय किताबों के लिए लोग कतार में खड़े मिलते हैं । हम हिन्दी वाले इनसे बहुत कुछ सीख सकते हैं । और कुछ न सही अपनी भाषा पर अहंकार करना तो सीख ही लें । हिन्दी में बहुत कुछ श्रेष्ठ लिखा जा रहा हैं । ख़ास कर इधर कई युवा बहुत बेहतर लिख रहे हैं । उन्हें अन्य भारतीय भाषाओं के बीच खड़ा करने के लिए अनुवाद बहुत आवश्यक काम है । हिन्दी के कई बड़े कवि विदेशी भाषाओं के कवियों का अनुवाद हिंदी में कर चुके हैं । यह बढ़िया है । लेकिन क्या हमारी भाषा से उसी मात्रा में अन्य विदेशी भाषाओं में भी अनुवाद होता है । विदेशी भाषाओं की बात जाने दीजिए खुद भारतीय भाषाओं में कितने हिन्दी युवा कवियों का अनुवाद हुआ होगा इसका सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है । 
तो आइए अपनी भाषा के प्रतिनिधि कवियों के बारे में सोचना आरंभ करें । वह ऐसा हो जिस पर गर्व किया जा सके । वह हिन्दी का सच्चा प्रतिनिधि हो । ऐसा न हो कि नाम तय करने में ही हम अपना वक़्त बरबाद कर बैठें और काम धारा रह जाए । हम अपने अपने स्तर पर इस काम को बढ़ा सकते हैं । आजकल तो ब्लॉग और तमाम सोशल मीडिया की ताकत हमसे वाबस्ता है । इसका सार्थक उपयोग हो । बीस-एक कवि हों । प्रत्येक की चार-पाँच कविताएं । सौ कविताओं का एक सुंदर संकलन जिसे दुनिया को सौंपते हुए हम कह सकें कि यह है हिन्दी कविता, इसे पढ़ा जाना चाहिए । 
यह बहुत आसान नहीं होगा । इस बात का कुछ अंदाजा तो हमें भी है । आखिरकार हम हिन्दी वाले हैं । अपनी अपनी जेब से लिस्टें निकालेंगे और लड़ बैठेंगे कि फलां का नाम क्यों नहीं या फला का ही नाम क्यों । लेकिन फिर भी पूरे यकीन के साथ कहने का मन है कि यह काम होना ही चाहिए । पूरे प्यार से । पूरी निष्ठा के साथ । और व्यक्तिगत प्रयासों से ही यह संभव होगा । संस्थानों के भरोसे सारे जरूरी काम नहीं छोड़े जा सकते । यकीन कीजिए इस किताब की हजारों प्रतियाँ बिकेंगी और पूरी ठसक के साथ बिकेंगी । काम हमारा खरा होना चाहिए, शर्त बस इतनी सी है । तो बताइए हिन्दी के वे बीस प्रतनिधि कवि कौन हैं । दुनिया आपके जवाब का इंतजार कर रही होगी । 
 

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